Monday 3 November 2008

(1) માંસાહાર શાકાહાર ધર્મ અને વિવેકબુદ્ધી (2) સ્વ. મહેન્દ્ર કપૂર ને શ્રદ્ધાંજલી -સુરતનાં દૈનિક ગુજરાત મિત્ર નાં તંત્રી લેખ પર મારો પ્રતિભાવ


આદરણિય વાચકો,
આજે આ બ્લોગ પર સૌ પ્રથમ વાર ગુજરાતીમાં મારૂ લખાણ રજૂ કરૂં છું, જે હકીકત માં સુરતનાં દૈનિક ગુજરાત મિત્ર માં પ્રસિદ્ધ થયેલા મારા ચર્ચાપત્રો ની સ્કેન કરેલી જે પી જી કોપી છે, જેમાં એકાદ જગ્યાએ છપાઈ ભૂલ પણ છે.

મોઢા માંથી 'પાન વાળું થૂક ઉડાડવું.' એમ સમજવું.

પિયુષ મહેતા.
(સુરત)

Sunday 3 August 2008

1. साझ पहेली 2. सितारों से आगे जहाँ और भी है

आज मैं आपको एक फिल्मी धून सुनाना चाहता हूँ, जो मैंनें रेडियो श्री लंका के कार्यक्रम साझ और आवाझ की 18 अप्रिल, 2008 की किस्त से उठाई थी, जो मैं करीब 1968 से अपने संग्रहमें रख़ना चाहता था । पर आज मूझे इनके साझ और कलाकार के बारेमें इस वक्त नहीं बताता हूँ । पर चाहता हूँ, कि आप सिर्फ़ गाने को ही नहीं, पर इस साझ के बारेमें और कलाकार के बारेमें भी अपना अपना अंदाज़ा लगाये और बताएं । एक क्ल्यू देता हूँ, कि इन कलाकार के जनम दिन पर मैंनें बधाई कि पोस्ट प्रस्तूत की थी, जिसमें मेरा उनके साथ फोटो भी प्रस्तूत किया था । अगर मेलोडी वाला साझ आप पहचानेगे तो अपनी याददास्त से या मेरी पूरानी पोस्टसे सही हल ढ़ूढना मुस्कील नहीं रहेगा ।

तो सुनिये यह मधूर धून



साथ में श्री अजितजी की आकाशवाणी पटना के विज्ञापन प्रसारण सेवा के सावन के 1931 से आज तक के गानो के कार्यक्रम के गानो की पोस्ट, श्रीमती अन्नपूर्णाजी की त्रिवेणी, भेटवार्ता, साप्ताहिकी, आराधना, नाट्यतरंग, पिटारेमें खीचडी, पटियाला घराने की संगीत सरीता, सेहतनामा, यूथ एक्स्प्रेश तथा संजय पटॆल जी की देवकीनंदन पांडेजी के बारेमें पोस्ट, युनूसजी की जरूरी एलान, आलम पनाह (फरमान पर अन्नपूर्णाजी की टिपणी के साथ ), तथा विविध भारती की प्रायोगीक वेबसाईट, वगैरह पोस्ट की सराहना करता हूँ । पर अभी भी विविध भारती पर जोधपूर और राजस्थान छाया हूआ है और अब शायद आजके बाद आने वाले दिनों में अलाहाबाद छाने वाला है । यह दोनों आकाशवाणी केन्द्र श्री महेन्द्र मोदी साहब के कार्यक्षेत्र रहे है । इस लिये उनके पास वहाँ के सही कलाकारों और वक्ता लोगों की ढेर सारी जानकारीयाँ होना स्वाभाविक है । और जिन लोगों को प्रस्तूत किया गया उनसे मेरे सहीत सभी को ख़ुशी तो हुई है ही, पर एक बात कहना चाहता हूँ, सितारों से आगे जहाँ और भी है । कि हमारे सुरत शहरमें भी कई गिरधारीलाल विश्वकर्माजी जैसे या थोडे से उपर या नीचे रहे कुछ: रेर सोंग्स कलेक्टर्स को मैं जानता हूँ तथा बड़ौदा के श्री जयंतिभाई पटेल, और राजकोट के मधूसूदन भट्ट भी इसी प्रकार के संग्राहक है । और डोम्बीवली के जयरामन साहब को तो मैं भूल नहीं सकता । पर अफ़सोस रहेगा, कि यह स्वर्ण जयंति मनाने का यह सिलसिला तो दि. 03-10-2008 पर समाप्त होने पर इनके लिये विविध भारती रूपी यह टेलीस्पोप हमें काम देना बंद कर देगा । “आमने सामने” भी सिर्फ़ जोधपूर के लिये ही रहा । क्या युनूसजी इस बात को श्री मोदी साहब तक़ पहोंचायेंगे ?

पियुष महेता |






पियुष महेता |

1. साझ पहेली 2. सितारों से आगे जहाँ और भी है

आज मैं आपको एक फिल्मी धून सुनाना चाहता हूँ, जो मैंनें रेडियो श्री लंका के कार्यक्रम साझ और आवाझ की 18 अप्रिल, 2008 की किस्त से उठाई थी, जो मैं करीब 1968 से अपने संग्रहमें रख़ना चाहता था । पर आज मूझे इनके साझ और कलाकार के बारेमें इस वक्त नहीं बताता हूँ । पर चाहता हूँ, कि आप सिर्फ़ गाने को ही नहीं, पर इस साझ के बारेमें और कलाकार के बारेमें भी अपना अपना अंदाज़ा लगाये और बताएं । एक क्ल्यू देता हूँ, कि इन कलाकार के जनम दिन पर मैंनें बधाई कि पोस्ट प्रस्तूत की थी, जिसमें मेरा उनके साथ फोटो भी प्रस्तूत किया था । अगर मेलोडी वाला साझ आप पहचानेगे तो अपनी याददास्त से या मेरी पूरानी पोस्टसे सही हल ढ़ूढना मुस्कील नहीं रहेगा ।
तो सुनिये यह मधूर धून


साथ में श्री अजितजी की आकाशवाणी पटना के विज्ञापन प्रसारण सेवा के सावन के 1931 से आज तक के गानो के कार्यक्रम के गानो की पोस्ट, श्रीमती अन्नपूर्णाजी की त्रिवेणी, भेटवार्ता, साप्ताहिकी, आराधना, नाट्यतरंग, पिटारेमें खीचडी, पटियाला घराने की संगीत सरीता, सेहतनामा, यूथ एक्स्प्रेश तथा संजय पटॆल जी की देवकीनंदन पांडेजी के बारेमें पोस्ट, युनूसजी की जरूरी एलान, आलम पनाह (फरमान पर अन्नपूर्णाजी की टिपणी के साथ ), तथा विविध भारती की प्रायोगीक वेबसाईट, वगैरह पोस्ट की सराहना करता हूँ । पर अभी भी विविध भारती पर जोधपूर और राजस्थान छाया हूआ है और अब शायद आजके बाद आने वाले दिनों में अलाहाबाद छाने वाला है । यह दोनों आकाशवाणी केन्द्र श्री महेन्द्र मोदी साहब के कार्यक्षेत्र रहे है । इस लिये उनके पास वहाँ के सही कलाकारों और वक्ता लोगों की ढेर सारी जानकारीयाँ होना स्वाभाविक है । और जिन लोगों को प्रस्तूत किया गया उनसे मेरे सहीत सभी को ख़ुशी तो हुई है ही, पर एक बात कहना चाहता हूँ, सितारों से आगे जहाँ और भी है । कि हमारे सुरत शहरमें भी कई गिरधारीलाल विश्वकर्माजी जैसे या थोडे से उपर या नीचे रहे कुछ: रेर सोंग्स कलेक्टर्स को मैं जानता हूँ तथा बड़ौदा के श्री जयंतिभाई पटेल, और राजकोट के मधूसूदन भट्ट भी इसी प्रकार के संग्राहक है । और डोम्बीवली के जयरामन साहब को तो मैं भूल नहीं सकता । पर अफ़सोस रहेगा, कि यह स्वर्ण जयंति मनाने का यह सिलसिला तो दि. 03-10-2008 पर समाप्त होने पर इनके लिये विविध भारती रूपी यह टेलीस्पोप हमें काम देना बंद कर देगा । “आमने सामने” भी सिर्फ़ जोधपूर के लिये ही रहा । क्या युनूसजी इस बात को श्री मोदी साहब तक़ पहोंचायेंगे ?

पियुष महेता

1. साझ पहेली 2. सितारों से आगे जहाँ और भी है

1. साझ पहेली 2. सितारों से आगे जहाँ और भी है

आज मैं आपको एक फिल्मी धून सुनाना चाहता हूँ, जो मैंनें रेडियो श्री लंका के कार्यक्रम साझ और आवाझ की 18 अप्रिल, 2008 की किस्त से उठाई थी, जो मैं करीब 1968 से अपने संग्रहमें रख़ना चाहता था । पर आज मूझे इनके साझ और कलाकार के बारेमें इस वक्त नहीं बताता हूँ । पर चाहता हूँ, कि आप सिर्फ़ गाने को ही नहीं, पर इस साझ के बारेमें और कलाकार के बारेमें भी अपना अपना अंदाज़ा लगाये और बताएं । एक क्ल्यू देता हूँ, कि इन कलाकार के जनम दिन पर मैंनें बधाई कि पोस्ट प्रस्तूत की थी, जिसमें मेरा उनके साथ फोटो भी प्रस्तूत किया था । अगर मेलोडी वाला साझ आप पहचानेगे तो अपनी याददास्त से या मेरी पूरानी पोस्टसे सही हल ढ़ूढना मुस्कील नहीं रहेगा ।
तो सुनिये यह मधूर धून

साथ में श्री अजितजी की आकाशवाणी पटना के विज्ञापन प्रसारण सेवा के सावन के 1931 से आज तक के गानो के कार्यक्रम के गानो की पोस्ट, श्रीमती अन्नपूर्णाजी की त्रिवेणी, भेटवार्ता, साप्ताहिकी, आराधना, नाट्यतरंग, पिटारेमें खीचडी, पटियाला घराने की संगीत सरीता, सेहतनामा, यूथ एक्स्प्रेश तथा संजय पटॆल जी की देवकीनंदन पांडेजी के बारेमें पोस्ट, युनूसजी की जरूरी एलान, आलम पनाह (फरमान पर अन्नपूर्णाजी की टिपणी के साथ ), तथा विविध भारती की प्रायोगीक वेबसाईट, वगैरह पोस्ट की सराहना करता हूँ । पर अभी भी विविध भारती पर जोधपूर और राजस्थान छाया हूआ है और अब शायद आजके बाद आने वाले दिनों में अलाहाबाद छाने वाला है । यह दोनों आकाशवाणी केन्द्र श्री महेन्द्र मोदी साहब के कार्यक्षेत्र रहे है । इस लिये उनके पास वहाँ के सही कलाकारों और वक्ता लोगों की ढेर सारी जानकारीयाँ होना स्वाभाविक है । और जिन लोगों को प्रस्तूत किया गया उनसे मेरे सहीत सभी को ख़ुशी तो हुई है ही, पर एक बात कहना चाहता हूँ, सितारों से आगे जहाँ और भी है । कि हमारे सुरत शहरमें भी कई गिरधारीलाल विश्वकर्माजी जैसे या थोडे से उपर या नीचे रहे कुछ: रेर सोंग्स कलेक्टर्स को मैं जानता हूँ तथा बड़ौदा के श्री जयंतिभाई पटेल, और राजकोट के मधूसूदन भट्ट भी इसी प्रकार के संग्राहक है । और डोम्बीवली के जयरामन साहब को तो मैं भूल नहीं सकता । पर अफ़सोस रहेगा, कि यह स्वर्ण जयंति मनाने का यह सिलसिला तो दि. 03-10-2008 पर समाप्त होने पर इनके लिये विविध भारती रूपी यह टेलीस्पोप हमें काम देना बंद कर देगा । “आमने सामने” भी सिर्फ़ जोधपूर के लिये ही रहा । क्या युनूसजी इस बात को श्री मोदी साहब तक़ पहोंचायेंगे ?

पियुष महेता

Sunday 27 April 2008

यहाँ

Sunday 13 April 2008

श्री अमीन सायानी

श्री अमीन सायानी

Sunday 9 March 2008

मेरी हालकी मुम्बई यात्रा -१

वैसे लोगो के लिये यह बडी बात नहीं होती है । मुम्बई तो क्या आज तो कई लोगो के लिये विदेष यात्रा भी अचरज की बात नहीं होती है । पर मेरा घूमना कम रहा है, और कुछ: सालों से मेरा यह सिलसिला बन गया है, कि गरमी का मौसम शुरू होने से पहेले साल या दो साल के बाद मुम्बई करीब एक हप्ते के या दस दिन के लिये घूम आऊँ, और मेरे भी बुझूर्ग सम्बंधीयों तथा अन्य सम्बंधीयोँ , मेरे अफसर रह चूके देना बेन्क के कुछ: मित्रो, जो मुम्बई से सुरत कभी तबादले के तौर पर आये थे , उनको, विविध भारती के साथियों, तथा कुछ: फिल्म-संगीत से जूडे वादक कलाकारों तथा आवाझ की दूनिया से जूडे स्वायत प्रसारको से जो मूझे कुछ: जानते और पहचानते है उनको दोनो और के समय संयोग अनुसार मिलकर सुरत लौटूँ ।
इस सिलसिले के अनुसार सुरत से पहेला सम्पर्क मैंने श्री अमीन सायानी साहब का सुरत से ही किया तो वे तो बहोत खुश: हुए और उन्होंने मूझे मंगलवार दि. २६- ०२-०८ के दिन दोपहर १२.३० पर अपने साथ शुद्ध वेजिटेरियन लंच लेने के लिये आमंत्रीत किया और अपनी डायरीमें मेरा नाम उस समय के लिये पक्का कर लिया ।
बादमें मुम्बई जाने के दूसरे दिन हमारे इस ब्लोग के साथी और वित्त पत्रकारिता में विषेष रूची रख ने वाले श्री कमल शर्मा जी मूझे मिलने आये और बहोत सारी जानकारी से भरी बात से मूझे आनंदित कर गये और प्रतिकात्मक पर सुंदर भेट से नवाज कर गये, जिसका थोडा बयान मैनें उसी दिन मुम्वई से ही दिया था ।
दि. २३ के रविवार के दिन मैं अपने ठहराव से सुबह का लंच ले कर (शायद सुबह और लंच शब्दो का मेल दुनिया की नझरमें ठीक नहीं है , पर सुरत में मेरी आदत सुबह के नास्ते की नहीं पर पूरे खाने की रही है, जैसे स्कूल के दिनों लोगो की होती है । और दो पहर हलके नास्ते की रही है । इस के लिये थोडे स्वास्थ्य के कारण भी है ।) निकला और महालक्ष्मी स्टेशन जा कर श्री गोपाल शर्माजी के घर जाने के लिये बोरिवली ट्रेईन पकडी जो प्लेटफोर्म के गलत इन्डिकेटर के हिसाब से थी और अंध्रेरी तक की ही थी । और उस दिन मेगा ब्लोक (यूनुसजी, अनिताजी और कमलजी इस बात से भली भांती परिचीत ही होंगे ।) और इन्डिकेटर्स की लिखावट कई और आने वाली ट्रेईन्स का कोई मेल न होने के कारण अन्धेरी स्टेशन से चल कर वेस्टन एक्स्प्रेस हाई- वे गया जहाँ से उसी हाई वे पर बोरिबली में श्री गोपाल शर्माजी रहते है , मैं बस पकड कर गया । शारीरीक और मानसिक रूपसे जो थकान महेसूस हुई थी, वह श्री गोपाल शर्माजी से मिल कर उतरने लगी । उन्होंने भी मेरे फोन से बताने के आधार पर श्री अमीन सायानी साहब से मेरे आने के पहेले मेरे बारेमें बात की थी, तो मेरे पास फिर से फोन करवा के बात करवाई । बाद में पूरानी रेडियो और विग्यापन के बारेमें बात की तव मेरे मूह से एक बात श्रीमती तबस्सूमजी के माताजी और पिताजी के आन्तर धर्मीय प्रेम विवाह के बारेमें, वह कैसे हुआ था उस घटना की बात निकल पडी, जो शर्माजी को तबस्सूमजी के साथ ११ साल विविध भारती से पारले प्रोडक्ट द्वारा प्रयोजित कार्यक्रम तूम जियो हजारो साल करने पर और म्यूझिक इन्डिया लि. द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के कुछ: किस्तों के करने पर भी पता नहीं थी । तब उन्होंने तबस्सूमजी से फोन करके मेरा परि चय करवाया । और तबस्सूमजीने भी बहोत अच्छी तरह बात की ।
च्चबात मैनें उनको कही, जो उनको १९८५में दूर दर्शन पर अस्थायी समाचार पाठक के रूपमें देख़ कर मेहसूस की थी, वह बताई की वे भाषा और उच्चार शुद्धि तो रखते हुए भी बहोत लो प्रोफाईल अपने आपको रखते लगते है । तो शर्माजीने ज्नसे भी दूरभाषी परिचय करवाया । अब अगला विवरण अगली पोस्टमें जो बहोत जल्ग आयेगी ।